Sawan 2024: सावन का महीना क्यों है इतना खास, जानें इसके पीछे का गूढ़ रहस्य और भगवान शिव से जुड़ा इतिहास

Sawan 2024: सावन का महीना क्यों है इतना खास, जानें इसके पीछे का गूढ़ रहस्य और भगवान शिव से जुड़ा इतिहास

मेरा सनातन डेस्क। हिंदू पुराणों के अनुसार, भगवान शिव को सावन का महीना काफी प्रिय है। भारतीय पौराणिक कथाओं के मुताबिक सावन के इतिहास का पता समुद्र मंथन से लगाया जा सकता है जब देवता और असुर अमृत या अमरता के अमृत की तलाश में एक साथ आए थे। 

समुद्र मंथन से आभूषण, पशु, देवी लक्ष्मी और धन्वंतरि सहित कई चीजें उत्पन्न हुईं। हालाँकि, जब हलाहल, एक घातक जहर मंथन से बाहर आया तो इससे पृथ्वी पर विनाश होने लगा। जो भी इसके संपर्क में आया उसका सर्वनाश होने लगा। इसके चलते भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु ने भगवान शिव से मदद मांगी। क्योंकि हर समस्या का निवारण उनके पास होता था।  

भगवान शिव ने पी लिया विष


उन्होंने भगवान शिव से, जो इस शक्तिशाली जहर को सहन कर सकते थे, इसका सेवन करने का अनुरोध किया। जब भगवान शिव ने जहर पीया तो उनका शरीर नीला पड़ गया। भगवान के पूरे शरीर में जहर फैलने से चिंतित देवी पार्वती ने उनके गले में प्रवेश किया और जहर को आगे फैलने से रोक दिया। इस प्रकार भगवान शिव को नीलकंठ कहा जाने लगा।

इसलिए काफी महत्वपूर्ण है सावन का महीना


ये घटनाएँ सावन के महीने में हुईं। इसलिए इस पूरे महीने सोमवार के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। हिंदू सावन महीने को शुभ मानते हैं क्योंकि इस दौरान कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं। द्रिक पंचांग के अनुसार, कामिका एकादशी, मंगला गौरी व्रत, हरियाली तीज, नाग पंचमी, रक्षा बंधन, नारली पूर्णिमा, कल्कि जयंती कुछ त्योहार और व्रत हैं। शिव के कुछ भक्त कांवर यात्रा पर जाते हैं और भगवान शिव को गंगाजल चढ़ाने के लिए पवित्र स्थानों पर जाते हैं।

भगवान शिव को प्रसन्न करने के प्रमुख मंत्र

"यस्योन्मेष निमेषाभ्यां जगतः प्रलयोदयौ |

तं शक्तिचक्रविभवप्रभवं शङ्करं स्तुमः||"

 

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

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